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लेखनी कहानी -22-Jun-2022 रात्रि चौपाल

भाग 2 : कलेक्टर का पी ए 


भाग 2 
कलेक्टर साहब का पी ए एक बहुत "बड़ी तोप" होता है । वह हमेशा कलेक्टर और ADM में झगड़ा करवाने की फिराक में रहता है, क्योंकि इसी में उसका फायदा है । वो आपने सुना ही होगा कि बिल्लियों के झगड़े में बंदर को फायदा हो जाता है । तो पी ए बंदर बनकर गुलछर्रे उड़ाना चाहता है ।  कलेक्टर का पी ए ADM पर "सवारी" करना चाहता है , क्योंकि वह पी ए है और कलेक्टरके नाम पर कुछ भी आदेश दे देता है । कुछ "गाय" ADM उन्हें सवारी करने का मौका दे देते हैं । मगर कुछ "सांड" ADM पी ए के पिछवाड़े में ऐसा सींग मारते हैं कि पी ए साहब चारों खाने चित्त हो जाते हैं । 

अंग्रेजों का नियम "डिवाइड एंड रूल" हर जगह लागू होता है । प्रशासन का तो ये विशेष फंडा है कि सभी अधिकारियों को एक मत होने दो । आपस में लड़ाकर रखो और फिर दूर से तमाशा देखते रहो । समय समय पर आग में पेट्रोल डालते रहो और अपने हाथ सेंकते रहो । पी ए को कभी कभी कलेक्टर कुछ ज्यादा ही मुंह लगा लेते हैं तो पी ए खुद को कलेक्टर समझने लग जाते हैं और अपनी हदों को लांघ जाते हैं । तब बड़ा मजा आता है । तब पी ए उस चूहे की तरह नजर,आता है जिसे हल्दी की एक गांठ मिल गई हो और वह खुद को पंसारी समझने लग जाये । 

अंशुल सक्सेना का पी ए वर्मा बड़ा घाघ आदमी था । न जाने कितने कलेक्टरों का पी ए रह चुका था वह । वह क।ता भी था कि उसने न जाने कितने कलेक्टर निकाल दिए । उसे अपनी बुद्धि और वाक् पटुता पर बड़ा घमंड था । वह सब कुछ "मैनेज" कर लेता था । उसका तो दावा था कि वह हर कलेक्टर को "मैनेज" कर लेता है । बड़े बड़े तीसमारखां कलेक्टर आये और वे सब वर्मा के हाथों की कठपुतलियां बन गए । उसका एक ही सिद्धांत था कि साम दाम दंड भेद से कलेक्टर के सारे काम करवा दो, फिर कलेक्टर उसका मुरीद हो जायेगा । जिस कलेक्टर की जो भी "आवश्यकता" होती , वह तुरंत पूरी कर देता था । कलेक्टर को क्या चाहिए ? घर का खर्च कोई चला दे , बाहर आने जाने के लिए बढिया सी गाड़ी मिल जाये । कभी कभार कलेक्टर की बीवी के लिए कोई "सैट" मिल जाये । और जब साहब घर में अकेले हों तो कोई "रात गुजारने का कोई साधन" मिल जाये । कितनी छोटी छोटी सी फरमाइशें होती हैं ना इन "साहब" लोगों की । वर्मा को इन सब कामों में महारथ हासिल थी ।वर्मा के लिए तो ये सब बायें हाथ का खेल था । उसने अपनी गोटियां सब जगह फिट कर रखी थीं । इसलिए वह जादू की छड़ी की तरह हर "चीज" उपलब्ध करवा देता था । बाद में इन "गलत कामों" का भांडा फोड़ने की धमकी देकर अपने काम भी निकलवा लेता था । 

एक दिन पी ए वर्मा के बेटे को पुलिस ने पकड़ लिया । उस पर आरोप था कि उसने और उसके एक दोस्त ने एक लड़की के साथ दुष्कर्म किया है । गलत लोगों की औलादें गलत काम ही करती हैं । क्योंकि घर में अनाप शनाप पैसा आता है और यह पैसा सट्टा, जुआ, दारू और लड़कियों पर ही खर्च होता है । जब एक बार ऐसी लत लग जाती है तो फिर रोज रोज वही सब चाहिए  । राजी राजी नहीं मिले तो जबरदस्ती हासिल की जाती है । 

तो वर्मा के बेटे का मन एक लड़की पर आ गया   उसने मना कर दिया । फिर तो एक ही रास्ता बचता है , वही अख्तियार कर लिया नौनिहाल ने । लड़की ने रिपोर्ट करा दी । मीडिया में भी मामला उछल गया था । वो तो कोई नया पत्रकार था जो वर्मा की ताकत से अनजान था और उसे पता नहीं था कि माजरा क्या हैं , इसलिए खबर छ्प गई।  वर्ना संवाददाता की इतनी हिम्मत थोड़ी थी जो वह वर्मा के बेटे की खबर छाप दे । लेकिन अब तो तीर कमान से छूट गया था , अब क्या हो सकता था भला ? अपने  बेटे की करतूतों के कारण वर्मा बहुत मशहूर हो गया । 

पी ए साहब तत्कालीन कलेक्टर साहब की शरण में गये और सीधे दण्डवत लेटकर "त्राहि माम , त्राहि माम" करने लगे । कलेक्टर साहब को जब मामला बताया गया तो कलेक्टर साहब ने हाथ खड़े कर दिए । बलात्कार के मामले में वे हाथ नहीं डालना चाहते थे ।  वर्मा जी के तो एकमात्र "देवाधिदेव" कलेक्टर साहब ही थे । उसने तो बस उन्हीं की पूजा की थी । उसने तो एक ही दोहा पढा था अपने जीवन में और वह भी रहीम दास जी का । 

एक ही साधे सब सधे , सब साधे सब जाय 
रहिमन मूलहिं सींचिये,  फूलै फलै अघाय ।। 

बस, वह तो "त्वमेव माता च पिता त्वमेव , त्वमेव बंधुश्च सखा त्वमेव" का जाप करने वाला बंदा था और जानता था कि साष्टांग प्रणाम करने से "देवता" जल्दी "वरदान" दे देते हैं । इसलिए वह तुरंत चरणों में लेटकर बार बार दंडवत प्रणाम करने लगा । मगर कलेक्टर साहब टस से मस नहीं हुए  । 

वर्मा जी ने भी कोई कच्ची गोलियां नहीं खेली थीं । बड़े घाघ किस्म के इंसान थे वर्मा जी । वैसे वे नाम के ही इंसान थे , काम तो जानवरों से भी बदतर थे उनके । पी ए साहब ने अपने मोबाइल में से एक वीडियो निकाला और उसे कलेक्टर साहब के मोबाइल में भेज दिया । बड़े विनम्र शब्दों में वह बोला "हुकुम , एक वीडियो आयो है अभी आपके मोबाइल में । एक बार आप इसे देख लो । अगर आपको उचित लगे तो मुझे बुलवा लेना । मैं बाहर ही बैठा हूं" । ऐसा कहकर वर्मा बाहर आकर बैठ गया । 

कलेक्टर साहब ने वीडियो देखना शुरू किया । वीडियो देखते देखते वे थर थर कांपने लगे । वीडियो था ही कुछ ऐसा । कलेक्टर साहब ने तुरंत बाहर बैठे पी ए को बुलवा लिया और कहा "ये क्या बदतमीजी है ? इसे कब बनाया और यह कब तुम्हारे पास आया " ? दरअसल वह एक लेडी डॉक्टर का वीडियो था । इस लेडी डॉक्टर की व्यवस्था भी पी ए ने ही की थी । यह लेडी डॉक्टर गायनोकॉलोजिस्ट थी जो कोख में लिंग परीक्षण का अवैध धंधा अपनी निजी क्लीनिक में करती थी । चूंकि इस धंधे में पैसा बहुत था मगर रिस्क भी बहुत थी । इसलिए पुलिस, प्रशासन और बड़े नेताओं से संपर्क रखना बहुत जरूरी था । उसने तो बस तीन "महानुभावों" को पकड़ लिया था । एक कलेक्टर साहब , दूसरे एस पी साहब और तीसरे विधायक जी । तीनों लोग "ब्रह्मा,  विष्णु , महेश" की तरह ही पूजनीय हैं आजकल । तो लेडी डॉक्टर इन तीनों की "सेवा" करने लगी और अपना धंधा "निर्विघ्न" रूप से करने लगी । जब सैंया भेज कोतवाल तो फिर कैसा डर  ? 

एक दिन पी ए ने लेडी डॉक्टर से कहा कि "मैडम , एक दो वीडियो जरूर बना लेना।  कभी कभी काम आ जाते हैं ये वीडियो" । और उस लेडी डॉक्टर ने दो चार वीडियो बना लिये और पी ए को भेज दिए थे । उन्हीं में से एक वीडियो पी ए ने आज कलेक्टर को भेज दिया था । आज जब कलक्टर ने वह वीडियो देख लिया तो नानी याद आ गई कलेक्टर साहब को ? 

अब कलेक्टर साहब के पास में क्या बचा था? उन्होंने एस पी को कहकर पी ए वर्मा के बेटे को बचा लिया । इससे पी ए वर्मा की धाक और जम गई  । अब वह और भी बड़े बड़े कारनामे कर सकता था   

क्रमश : 
हरिशंकर गोयल "हरि" 
22.6.22 

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2 Comments

Seema Priyadarshini sahay

23-Jun-2022 10:54 AM

बहुत खूबसूरत

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Gunjan Kamal

23-Jun-2022 01:17 AM

बेहतरीन

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